Monday 22 June 2020

उस रात की चुप्पी

जुगनू की गूंज
गूंजना कम
शेर की चिंघाड़ ज़्यादा लगे
ऐसी थी उस रात की चुप्पी
ऐसी चुप्पी
कि मोमबत्ती की ताप
जैसे ताप कम और शोर ज़्यादा हो
काली रात के कालेपन में
चांद की चांदनी चांदनी कम 
और दाग ज़्यादा हो
ऐसी थी उस रात की चुप्पी
ऐसी चुप्पी कि कुछ बोलना क्या
सोचना भी ज़्यादा सा लगे
ऐसी चुप्पी में मैं सांस थामे
बस तुम्हारी सांसों को सुनता गया..